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स्वामी विवेकानंद और एक चमत्कारी महत्मा की कहानी, आखिर महात्मा को स्वामी जी बातो ने अस्तब कर दिया

स्वामी विवेकानंद और एक चमत्कारी महत्मा की कहानी, आखिर महात्मा को स्वामी जी बातो ने अस्तब कर दिया :- 



एक बार की बात है , स्वामी विवेकानंद जी कही जा रहे थे, रास्ता काफी लम्बा था , इस सफ़र में वो अकेले थे , उनके साथ उनका कोई शिष्य भी नहीं था  . स्वामी जी लम्बा सफ़र के कारण काफी थक गए थे , लेकिन एकेले चलते रहे कही  रुके नहीं. चलते -चलते अचानक स्वामी जी रुक गए , तभी उन्होंने देखा उनके सफ़र का अब जमीनी रास्ता ख़त्म हो गया है औ अब उनको आगे  का सफर एक बड़ी नदी को पार कर के ही करना होगा . नदी के तट पर कोए भी नहीं था . उन्होंने देखा कि नदी के दुसरे किनारे पर एक नोका है और उस नोका को इस तट पर आने में समय लगेगा . और स्वामी जी को अब सफर को पूरा करने के लिए उस नोका के लिए इंतजार करना  था . 

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स्वामी जी ने निर्णय किया की नोका के आने तक यही तट की किनारे एक पेड़ की निचे बैड़ना है. स्वामी जी पेड़ के निचे विश्रम करने लगे . थोड़ी देर बाद स्वामी जी की आँख लग गयी, अभी आँख लगे थोडा समय ही हुआ था कि एक आहट से वो नींद से जग गए और देखा उनके समने एक साधू के वेश में एक चमत्कारी महत्मा खड़े उनको बड़े गौर से स्वामी जी को देख रहे थे. नींद से आँख खुलते ही स्वामी जी चमत्कारी महत्मा को प्रणाम किये और बड़े विनम्र भाव से शर झुका का अपनी सादगी का परिचय दिया . चमत्कारी महत्मा मुस्कुराते हुए स्वामी जी अविवादन स्वीकार किया .. ............


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.और बोले बालक अगर एसे छोटी -छोटी बाधाएँ देख कर रुक जावोगे तो केसे होगा, इस संशार में बड़े-बड़े बाधाएँ है टो उसका केसे सामना करोगे , केसे इस दुनिया में चलोगे . तुम    तो बड़े आध्यामिक गुरु और दार्शनिक लगते हो , तुम्हरा मुख तेज से चमक रहा  है. और जरा  नदी तुम पर नहीं कर पाते हो? चमत्कारी महत्मा के तीखे सब्द सुन कर भी स्वामी जी शांत जल  ..............समान एक दम ...शांत और स्थिर थे. तभी चमत्कारी महत्मा ने कहा देखो , नदी एसे पार कि जाती है, और चमत्कारी महत्मा खड़े हुए और पानी की सतह पर चलने लगे और  के इस तट  ....से दुसरे तट से चक्कर लगा कर वापस फिर स्वामी जी के पास आ खड़े हुए और मुस्कुरे हुए कहा देखा नहीं पार करना कितना आसन है है.....



स्वामी जी आश्चर्यचकित होते हुए पूछा-------, महत्मा जी , यह आपने केसे किया , ये सिद्धि आपने कहा और केसे पाया. ये सुन चमत्कारी महत्मा मुकुराते हुए और बड़े गर्व से बोले , बालक ये सिध्दी कोई छोटी-मोटी नहीं है , और ये एसे नहीं मिलती है . इसके लिए मैंने हिमालय की गुफा में ३० साल तक कड़ी तपस्या करनी पड़ी ,तब जा कर ये सिद्धि मुझे मिली है..



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चमत्कारी महत्मा की बाते सुन कर स्वामी जी मुस्कुरा कर बोले , में आश्चर्यचकित तो हु , परन्तु नदी पार करने जेस कार्य टो दो पैसे में हो सकता  है, उसके लिए आपने ने जिन्दगी के ३० साल बर्बाद कर दिये. ये ३० साल अगर आप मानव के किसी कार्य में लगते टो आपका जीवन सचमुच सार्थक हो जाता . स्वामी जी बाते सुन कर चमत्कारी महत्मा अस्तब रह गए अगर सन हो गए और काफी देर तक स्वामी जी का मुख देखते रह गए .







स्वामी विवेकानंद और एक चमत्कारी महत्मा की कहानी, आखिर महात्मा को स्वामी जी बातो ने अस्तब कर दिया स्वामी विवेकानंद और एक चमत्कारी महत्मा की कहानी, आखिर महात्मा को स्वामी जी बातो ने अस्तब कर दिया Reviewed by Music World on December 13, 2019 Rating: 5

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