सकरात्मक दृष्टिकोण
सकरात्मक सोच हो या नजरिया :- कहते है की कर भला तो हो भला. लेकिन भला कैसे करे , जब तक इसमे कोए लाभ ना हो| लेकिन निश्व्र्थ भाव से किया गया भला ही असली भला है | लेकिन बिना लाभ के बिना कोइ भला कैसे हो सकता है? .........| हो सकता है , तब जब सोच सही और सकरात्मक हो और इसके लिए नजरिया को भी बदलना होता है|
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आईये एक कहानी के जरिये इसको समझाने की कोसिस करते है| एक बार एक आदमी अपनी कार धो रहा था , पास में ही उसके पडोसी का घर भी था , वो घर से निकला और जब उस आदमी को कार धोते देखा तो उसने उस आदमी से पुचा, आपने ये कार कब करीदा महोदया ?
वह आदमी अपने पडोसी को देखा और मुस्कुराते हुए कहा , ये कार मेरे बड़े भाई से मुझे मेरे जन्मदिन पर मुझे gift दिया है , तभी पाडसी तुरंत बोल पड़ा....काश.......एसे ही मेरे भाई ने भी मुझे दिया होता .......| तो मेरे पास भी एसे ही कार होती|
एस पर वो आदमी अपने पडोसी से कहा .......आपको ये सोचना चाहिए था की काश .........| मेरा भी कोए ऐसा भाई होता | तभी पडोसी की पत्नी , जो ये सब बाते सुन रही थी, बिच में टोक कर कहा , मैं सोचती हु - काश ...|| वो भाई मैं होती .
दोस्तों ये सोचने का सही और सकरात्मक तरीका है जो लोगो में अपना-पन और प्यार की भावना को दर्शता है |
जीबन में अच्छा सोच ही आपको आगे ले जायेगा और समाज को एक नयी दिशा दिखायेगा |
एसे ही और positive और motivation भरा story और अच्छी सोच बाली कहानी आपको एस blog में मिलेगा जिसे पड़ कर मन आनंद हो जायेगा . एस blog पर रोज अपडेट रहे|
एस पर वो आदमी अपने पडोसी से कहा .......आपको ये सोचना चाहिए था की काश .........| मेरा भी कोए ऐसा भाई होता | तभी पडोसी की पत्नी , जो ये सब बाते सुन रही थी, बिच में टोक कर कहा , मैं सोचती हु - काश ...|| वो भाई मैं होती .
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Positive सोच जिन्दगी जीने सिखाती है........|
Reviewed by Music World
on
December 09, 2019
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